Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 101( NEW WAR-2)

"यस सुलभ...यहाँ आकर समझाओ..."विभा ने सुलभ से रिक्वेस्ट की...

विभा की रिक्वेस्ट पर हमारे सुलभ बाबू का बिहेवियर कुछ  रूखा-रूखा सा था...वो बोले"मैम  ,मुझे इसका आन्सर तो पता है ,लेकिन मुझे answer बताने मे इंटरेस्ट नही है..."

"साला...."अंदर ही अंदर मैं हंसा...

सुलभ वैसे शारीरिक तौर पर BHU की तरह ही डेढ़ फूटिया  था और फुल रोल बाज आदमी था... इतना रोलबाज की एग्जाम मे answer आने के बावजूद एक घंटे के बाद निकलने का रोल देने के चक्कर मे वो अकसर answer छोड़ कर एग्जाम हॉल से निकल जाता था. जिसके कारण फर्स्ट सेमेस्टर मे उसके 6 सब्जेक्ट मे से 3 मे बैक लगे थे... लेकिन लड़का टैलेंटेड था..नेक्स्ट मे एक झटके मे साले ने क्लियर कर लिया... अभी की सिचुएशन देख लो... उसे answer पता है, लेकिन वो attitude मे विभा से कह रहा है की वो answer देने मे इंटरेस्टेड नहीं है... उसका सेशनल नंबर जो की थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों  का विभा के हाथ मे था... उससे कोई मतलब नहीं था... उसका बस रोला जमना चाहिए फिर चाहे वो फेल ही क्यों ना हो जाए....

"क्या मतलब इंटेरेस्ट नही है..."विभा थोड़ा तेज आवाज़ मे बोली

"मतलब की इसका कोई मतलब नही है...बस मैं इन लोगो को आन्सर देने मे इंट्रेस्टेड नही हूँ... सब के सब गद्दार,मक्कार है "

"अरे मुझे भी इसका आन्सर मालूम करना है, इनको नही बताना चाहते तो मत बताओ...पर मुझे तो बताओ..."और उसके बाद विभा ने बड़ा सा प्लीज़ ! कहा....
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सुलभ भी क्या करता, आख़िरकार वो भी तो एक आम लड़का था,जिसका खड़ा होता था और विभा मैम  की इस सेक्सी रिक्वेस्ट को वो रिजेक्ट कैसे करता, इसलिए सुलभ अपनी बेंच से उठा और चॉक उठाकर उस क्वेस्चन से रिलेटेड एक लंबा-चौड़ा फ़ॉर्मूला लिखा...फार्मूला देखकर ही मैने बोर्ड की तरफ से अपनी नजरें हटा कर विभा मैम के छातियों पर टिका दी... उधर सुलभ 10 मिनट तक उसी फॉर्मूले को कोचकते -कोचकते कुछ -कुछ करता रहा और फिर बोला.... Problem Solved....सुलभ के ऐसा बोलते ही,पूरी क्लास तालिया पीटने लगी....
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"वेरी गुड ,सुलभ...तुम्हारा असाइनमेंट कैंसिल "तालियो की गड़गड़ाहट के बीच विभा मैम ने सुलभ को इनाम दिया...
और हमारा मैम.... हमारा असाइनमेंट भी कैंसिल ना..."हम तीनो वही से चिल्लाये

"ओके... तुम तीनो का भी कैंसिल... गधो..."

"थैंक  यू मैम  "हम तीनो पीछे से एक साथ चीखे..... और मैने विभा को देख कर आँख मार दी.. जिसे देख कर भी विभा ने अनदेखा कर दिया...
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रिसेस मे क्लास के बाहर खड़े होकर हम सब मस्ती -मज़ाक कर रहे थे कि हॉस्टल  मे रहने वाले फर्स्ट ईयर  के लौन्डे उधर से गुज़रे और मुझे और अरुण को देखकर सलाम करते हुए आगे बढे...क्यूंकि हम दोनों हॉस्टलर  भी थे और उनके सीनियर भी...

"अबे सुन..."एक को पकड़कर अरुण बोला"जा कैंटीन  मे देख कर आ कि दिव्या है या नही..."

"लेकिन मैं तो हॉस्टल  जा रहा हूँ और कैंटीन ठीक उसके विपरीत दिशा मे है.. सर ."

"जाके कैंटीन  मे देखकर आ, वरना  मेरे पुरे साल भर का असाइनमेंट तू ही लिखेगा ..समझा.....अब जा..."

ये नार्मल था और हॉस्टल के सीनियर्स का हक़ भी था की वो जूनियर से जो चाहे वो करा ले... चाहे तो असाइनमेंट लिखवा ले, प्रैक्टिकल फ़ाइल कम्पलीट करवा ले या फिर रात के 2 बजे दारू या सिगरेट लेने के लिए भरी बरसात मे उन्हें बाहर भेज दे... जूनियर्स को झक मार के सीनियर्स की बात माननी पडती थी... पर फायदा जूनियर्स का भी था... यदि मान लो कैंटीन मे कोई सीनियर है तो लब लबा के सारे जूनियर्स वहा पहुंच जाते और सीनियर्स के पैसे पर नाश्ता करते... यदि किसी ऑटो मे सीनियर है और उसके साथ जूनियर भी..तब पैसे सीनियर देगा... ये रूल था या फिर ये कहु की..हमारे हॉस्टल का रीति -रिवाज़....

उस लड़के को कैंटीन  की तरफ भेजकर अरुण फिर से हमारे साथ भिड़ गया....

"दिव्या कैंटीन  मे है..."थोड़ी देर मे हान्फते हुए वो फर्स्ट ईयर का लड़का आया और बोला

"धन्यवाद ,चल अरमान..."

"घंटा जाएगा मेरा...."

"अबे चल ना,तेरी भाभी बैठी है कैंटीन  मे..."

"बोला ना एक बार ना..."

"वैसे दिव्या के साथ ऐश  भी है अरमान भैया...."मुस्कुराते हुए फर्स्ट ईयर  के उस लड़के ने कहा....

"साले अरुण, कब से बोल रहा चल कैंटीन चलते है... तू चल क्यों नहीं रहा बे... वैसे और कौन कौन है उनके साथ...??."

"दोनो अकेली बैठी है...जब मैं वहाँ गया तो दिव्या किसी लड़के से बहस कर रही थी...पता नही क्या लफडा है..."

"ऐसा क्या, अच्छा ये बता गौतम भी है क्या उधर..."

"नोई..."

"अरुण चल,आज तेरी माल पर हाथ सॉफ करके आते है..."

"क्या बोला बे "

"बोले तो उसपर हाथ सॉफ करके आते है,जो तेरी माल से उलझ रहा है..."

हम दोनो कैंटीन  की तरफ बढ़े ही थे कि सौरभ और सुलभ ने हमे पकड़ कर पीछे खींच लिया और बोले की....दो से भले चार...

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"चार से भले दो..."उन दोनो को रोक कर अरुण बोला"वहाँ माल हम दोनो की फंसी है और बचाने तुम दोनो जाओगे और वैसे भी झुंड मे कुत्ते आते है और हम शेर है ,चलो अभिच फुट लो इधर से ,दिखना मत इधर अब..."

सौरभ और सुलभ को वापस भेजने के बाद हम दोनो कैंटीन  की तरफ तेज़ी से भागे,

ना जाने मैं क्या-क्या सोच कर आया था...मैने सोचा था कि मेरे उल्लू दोस्त अरुण की तरह किसी दूसरे उल्लू का दिल दिव्या पर आ गया होगा और वही लफडा चल रहा होगा या फिर किसी ने गन्दा कॉमेंट उन दोनो को देखकर मार दिया होगा,या फिर किसी ने उनका सबके सामने मज़ाक उड़ाया होगा...या फिर ऐसा ही कुछ  दूसरा कांड हुआ होगा,लेकिन जब हम वहाँ पहुँचे तो दूसरा ही नज़ारा देखने को मिला....ऐश  आराम से अपनी जगह पर बैठकर कोल्ड ड्रिंक की चुस्किया ले रही थी और दिव्या उससे दूर काउंटर पर खड़ी होकर कैंटीन  मे काम करने वाले लड़के से लड़ाई कर रही थी....

"ये चिप्स बाहर 10 मे मिलता है तो फिर यहाँ 15 मे क्यूँ..."दिव्या तेज आवाज़ मे चिल्लायी...

"वो सब मेरे को नही मालूम,अपने को तो 15 मे देने को कहा गया है,इसलिए अपुन तो 15 ही लेगा..."

"ऐसे कैसे 15  लेगा..."उस लड़के को घूरते हुए दिव्या चीखी...

"वो तो अपुन लेकर ही रहेगा..."वो लड़का भी दिव्या को घूरते हुए चीखा...
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"अरुण,जा....  5 रुपये तू अपनी तरफ से दे दे और मामला ख़त्म कर..इसी बहाने हीरो बन जायेगा तू "अरुण को धकेलते हुए मैने कहा

"लेकिन मेरे पास खुल्ले नही है यार..."

"अबे तो 10 का नोट दे देना बक्चोद...और स्टाइल मे बोलना... Keep the Change"

"ठीक है..."बोलकर अरुण,  दिव्या की तरफ बढ़ा और मैं अपनी गोरी भूरी बिल्ली की तरफ जा पहुचा....
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"Hiii...Aish.."जहाँ ऐश  बैठी थी ,वही उसके पास बैठकर मैने कहा..

"Hiii.."कुछ  देर के लिए उसने अपने मुँह से स्ट्रॉ निकाला और मुझे hiii बोलकर वापस कोल्ड ड्रिंक पीने लगी...

"सुन तो.."उसकी तरफ थोड़ा झुक कर मैं बोला...

"क्या है..."वो भी straw से कोल्डड्रिंक चूसते -चूसते मेरी तरफ झुकी...

"तुम दोनो के रहीस बाप 15 रुपये भी तुम दोनों को नही देते क्या...?? जो तेरी वो चुहिया फ्रेंड 5 रुपये के लिए उस कैंटीन  वाले से लड़ रही है...?? और तू उसे समझाने की जगह बोतल मे स्ट्रॉ डालकर दारू के शॉट मारे जा रही है...इसलिए मैं तुझे बिल्ली बोलता हूँ..."

"आँख फुट गयी है क्या,ये दारू नही पेप्सी है...और तुम्हे क्या मतलब कि हमे घर से कितने रुपये मिलते है..."

"कंजूस होंगे तुम दोनो के पप्पा..क्यूँ "उसके शोल्डर पर अपने शोल्डर से हल्का सा धक्का देकर मैने कहा,जिससे वो खांसने लगी... शायद कोल्ड्रिंक कही अटक गया था उसके अंदर... जब वो खसने लगी तो दिल किया कि उसकी पीठ सहला कर मस्त फिल्मी सीन बनाऊ...लेकिन मेरे Sixth Sense और वहाँ मौज़ूद बहुत से स्टूडेंट्स के कारण मैने ऐसा बिल्कुल भी नही किया...जबकि मुझे ऐसा करना चाहिए था..लड़कियों को यही तो पसंद आता है.

"तुमने मुझे धक्का क्यूँ दिया..."वो बोली और फिर खांसने लगी...

"कितनी नाजुक है तू बिल्ली....  डर है कि कही कोई तुझे फूल से ना मार दे...
कितनी प्यारी है तेरी आँखे,डर है कि इन्हे कोई प्यार से ना मार दे..."

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